
![पुरदिल नगर के दिनेश शर्मा स्नेही ने किए पैदल वैष्णो देवी माँ, कटरा, जम्मू के दर्शन।भला कौन क्या नहीं कर सकता, एक ऐसी ही मिशाल पेश कर दी हाथरस जिले के दिनेश शर्मा स्नेही ने । 21 मई को अपने गाँव पुरदिल नगर से माँ का ऐसा दीवाना जो, पैदल ही लगभग 900km की यात्रा से माँ के दर्शन करने निकल पड़ा। आज लगभग 32 दिन बाद धूप, भूख, थकान, अपमान, तिरस्कार, वीरान जंगल, नदी नालों व जंगली जानवरों के भय को चीरते हुए एक भिक्षुक की तरह अपने पास एक अन्न का दाना व एक रुपए पास न रखने का प्रण लिए हुए, उन्होंने जम्मू कटरा में माँ वैष्णों देवी के दर्शन कर क्षेत्र वासियों का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया । क्षेत्र में शायद ही पहले व्यक्ति के रुप एक मिसाल पेश कर दी, इतनी दूर [ लगभग 900km ] पैदल जाकर किसी ने कोई यात्रा की हो ।दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्होंने बताया कि इस यात्रा को पूर्ण करने में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, व जम्मू राज्यों से गुजरना पड़ा। इस यात्रा को पूर्ण कराने में माता रानी के साथ-साथ परिवार, मित्र व क्षेत्र के जो लोग काम के लिए जहां- जहां वसे हुए हैं, उन सभी के कारण ही यह सफर मेरा तय हो सका । यदि ये सब मेरे साथ न खड़े होते, तो शायद ही मैं पैदल इस यात्रा को पूर्ण कर पाता ।माता रानी की हमेशा इन सब पर कृपा बनी रहे ।](https://vandebharatlivetvnews.com/wp-content/uploads/2025/06/IMG-20250622-WA0004.jpg)
भला कौन क्या नहीं कर सकता, एक ऐसी ही मिशाल पेश कर दी हाथरस जिले के दिनेश शर्मा स्नेही ने । 21 मई को अपने गाँव पुरदिल नगर से माँ का ऐसा दीवाना जो, पैदल ही लगभग 900km की यात्रा से माँ के दर्शन करने निकल पड़ा। आज लगभग 32 दिन बाद धूप, भूख, थकान, अपमान, तिरस्कार, वीरान जंगल, नदी नालों व जंगली जानवरों के भय को चीरते हुए एक भिक्षुक की तरह अपने पास एक अन्न का दाना व एक रुपए पास न रखने का प्रण लिए हुए, उन्होंने जम्मू कटरा में माँ वैष्णों देवी के दर्शन कर क्षेत्र वासियों का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया । क्षेत्र में शायद ही पहले व्यक्ति के रुप एक मिसाल पेश कर दी, इतनी दूर [ लगभग 900km ] पैदल जाकर किसी ने कोई यात्रा की हो ।
उन्होंने बताया कि इस यात्रा को पूर्ण करने में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, व जम्मू राज्यों से गुजरना पड़ा। इस यात्रा को पूर्ण कराने में माता रानी के साथ-साथ परिवार, मित्र व क्षेत्र के जो लोग काम के लिए जहां- जहां वसे हुए हैं, उन सभी के कारण ही यह सफर मेरा तय हो सका । यदि ये सब मेरे साथ न खड़े होते, तो शायद ही मैं पैदल इस यात्रा को पूर्ण कर पाता ।माता रानी की हमेशा इन सब पर कृपा बनी रहे ।